विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
मलिक को दो अपराधों - आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (यूएपीए) (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना)- के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा मिलना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’: पीएजीडी
गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने बुधवार को कहा कि कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली की अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाया जाना “दुर्भाग्यपूर्ण” है और इससे शांति के प्रयासों को “धक्का” लगा है।
पीएजीडी के प्रवक्ता एम. वाई. तारिगामी ने एक बयान में कहा कि अदालत के फैसले से अलगाववादी भावनाओं में और इजाफा होगा। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने बुधवार को मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के अलावा गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं में भी जेल की सजा सुनाई।
अदालत ने मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। तारिगामी ने कहा, “यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा देना दुर्भाग्यपूर्ण है और शांति के प्रयासों को धक्का है। हमें डर है कि इससे क्षेत्र में अनिश्चितता और बढ़ेगी तथा अलगाववादी भावनाएं और बढ़ेंगी।”
उन्होंने कहा कि एनआईए अदालत ने फैसला सुनाया लेकिन “न्याय नहीं दिया।” पीएजीडी ने मलिक को सभी कानूनी रास्ते अपनाने का भी सुझाव दिया।